सुबह दुकान आते समय रामबाबू पत्नी से बोलकर आया था कि वह रात को घर नही आएगा।पत्नी ने न आने का कारण पूछा तो उसने पास के गांव में शादी में जाने का बहाना बना दिया था।लेकिन असल मे उसे शादी में नही आजबकी रात उन लोगो के साथ जाना था।जिनसे उसने कल रात ही वादा कर लिया था।ये लोग उसके नए ग्राहक थे।वे कौन है?कहाँ से आते है?क्या करते है?उनके बारे में वह कुछ नही जानता था।इतनी मिठाई का रोज क्या करते है?
उसके मन मे घुमड़ रहे थे।यूं तो उसे खुश होना चाहिए था।उसकी रोज इतनी मिठाई बिक रही थी।खुश था।वे लोग रात को जब उसका दुकान बंद करने का समय होता तभी वे लोग आते।और इसी बात पर उसे सन्देह हुआ था।हो न हो ये लोग गलत प्रवर्ति के हो।किसी गिरोह या गैंग से इनका सम्बन्ध हो।लेकिन वेशभूषा से ऐसा नही लगता था।राम बाबू ने कभी उन्हें आपस मे बात करते भी नही देखा था।वे चुपचाप आते और चले जाते।
राम बाबू की गांव के बाजार में मिठाई की दुकान थी।यूं तो मिठाई की दो दुकाने और भी थीं।लेकिन राम बाबू की दुकान ही ऐसी थी कि सब तरह की मिठाई हर समय तैयार मिलती थी।रोजाना के अलावा बार त्यौहार भी राम बाबू की दुकान पर ही सबसे ज्यादा बिक्री होती थी।राम बाबू का यह पुशतैनी धंधा था।उनकी दुकान का नाम आसपास के गांवों में भी था।
उसकी दुकान के सामने बने मकानों के बीच से एक छोटा सा तंग रास्ता गांव के बाहर की तरफ जाता था।गांव में रहने वाले किसान और खेतिहर मजदूर इसी रास्ते से खेतों की तरफ जाते थे। शाम ढलने पर इसी रास्ते से वापस लौटते थे।लौटते समय उनमे से कई लोग उसकी दुकान से मिठाई या दूध ,दही लेकर जाते थे।उसकी दुकान रात गयारह बजे से पहले बन्द नही होती थी।दुकान देर तक खुली रहने का और भी कारण था।गांव का विकास हो रहा था।कॉलेज खुल चुका था।अन्य सरकारी विभागों के दफ्तर भी खुल रहे थे।काफी लोग गांव में आकर रहने लगे थे।ये लोग रात को खाना खाने के बाद राम बाबू की दुकान पर कढ़ाई का गर्म दूध पीने जरूर आते थे।
पर जिस बात ने उसे कई दिनों से परेशान कर रखा था।वो थी दुकान बंद करते समय आने वाले ग्राहक।लगभग एक महीने पहले की बात है।जब वह दुकान बंद कर रहा था।तब सामने वाले तंग रास्ते से चार आदमी उसकी दुकान पर आकर खड़े हो गए।उन्हें देखकर राम बाबू ने उनसे पूछा था,"क्या चाहिए आपको?"
"मिठाई है या सब खत्म हो गयी?"उन चारों में से एक आदमी बोला था।
"बर्फी,गुलाब जामुन सभी है"
"ठीक है जो भी बचा है सब तौलकर हमे दे दो"उस आदमी ने फिर कहा था।
दुकान बंद करते समय एक ग्राहक ही इतना तगड़ा आया था।राम बाबू ने सारी मिठाई जो उसकी दुकान में बची थी तौलकर उस ग्राहक को दे दी।
"कितने पैसे हुए?"उस आदमी ने पूछा था।
राम बाबू ने पैसे जोड़ कर बताए। वे पैसे देकर चले गए थे।और उस दिन के बाद वे चारो लोग उसकी दुकान पर रोज आने लगे थे
(एक घटना पर आधारित काल्पनिक रहस्य रोमांच से भरी कहानी)